वो नही चाहते कि कोई इसे पढ़े, इसलिए आपका धर्म है कि इसे गाएं, गुनगुनाएं
Posted by Isht Deo Sankrityaayan on September 28, 2007
-दिलीप मंडल
याद है आपको वो कविता। झांसी की रानी। देश के अमूमन हर राज्य की स्कूली किताबों में सुभद्रा कुमारी चौहान की ये कविता पढ़ाई जाती है। लेकिन राजस्थान बीजेपी को इसकी कुछ पंक्तियां अश्लील लगती है। इसलिए कविता तो छपती है लेकिन आपत्तिजनक लाइनें उसमें से हटा दी जाती हैं। पहले ये देखिए कि वो लाइनें कौन सी हैं, जिन्हें बीजेपी आपकी स्मृति से हटाना चाहती है।
अंग्रेज़ों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी राजधानी थी
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी
विजय मिली पर अंग्रेज़ों की, फिर सेना घिर आई थी
अबके जनरल स्मिथ सम्मुख था, उसने मुहँ की खाई थी
काना और मंदरा सखियाँ रानी के संग आई थी
युद्ध श्रेत्र में उन दोनों ने भारी मार मचाई थी
पीछे ह्यूरोज़ आ गया, हाय घिरी अब रानी थी
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी
तो भी रानी मार काट कर चलती बनी सैन्य के पार
किन्तु सामने नाला आया, था वह संकट विषम अपार
घोड़ा अड़ा नया घोड़ा था, इतने में आ गये सवार
रानी एक शत्रु बहुतेरे, होने लगे वार पर वार
घायल होकर गिरी सिंहनी उसे वीरगति पानी थी
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी
http://www.prayogshala.com/poems/subhadra-khoob-ladi-murdani-woh-to
पूरी कविता लिंक पर क्लिक करके पढ़ें, अपने बच्चों को पढ़ाएँ, क्योंकि कांग्रेस और बीजेपी दोनों जगह सिंधिया परिवार का जो रूतबा है, उसे देखते हुए आश्चचर्य नहीं होना चाहिए कि एक नया इतिहास लिखा जाए, जिसमें सिंधिया खानदान को अंग्रेजों से लड़ने वाला देशभक्त साबित कर दिया जाए।
वैसे अंग्रेजो के शासन में देशभक्त और अंग्रेजभक्त की पहचान करने का एक आसान सा फॉर्मूला है। दिल्ली, कोलकाता और मुंबई में आपको जिस राजपरिवार और रियासत का भवन या हाउस दिख जाए, उसे अंग्रेज बहादुर का वफादार समझ लीजिए। अब बनाइए लिस्ट- सिंधिया हाउस, कपूरथला हाउस, मंडी हाउस, बीकानेर हाउस, पौड़ी गढ़वाल हाउस (बीजेपी सांसद दिवंगत मानवेंद्र शाह के पुरखो की रियासत), धौलपुर हाउस, जोधपुर हाउस, त्रावणकोर हाउस, नाभा हाउस, पटियाला (अमरिंदर सिह के पुरखों की रियासत)हाउस, बड़ौदा हाउस, कोटा हाउस, जामनगर हाउस, दरभंगा हाउस … गिनते चले जाइए, गिनाते चले जाइए। क्या आपको किसी शहर में झांसी हाउस, आरा हाउस, बिठूर हाउस दिखा है?
दोस्तों वतन पर मरने वालों का निशां बाकी है, या वतन से गद्दारी करने वालो का? वतनपरस्तों का नाम बचा रहे इसलिए सस्वर गाइए-
अंग्रेज़ों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी राजधानी
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी
संजय बेंगाणी said
महारानी क्षमा करें.. मुख्यमंत्री को शायद अपने पियर वालो के लिए लिखी गई पंक्तियाँ भाती नहीं. मगर इतिहास को मिटना आसान नहीं. जो देश के लिए मर मिटे उन्हे यह माटी याद रखेगी.
इष्ट देव सांकृत्यायन said
बिल्कुल सही संजय जी. हमारे देश के इतिहास के साथ जैसी छेड़छाड़ हुई है, वैसी शायद ही कहीँ और हुई हो. इसके बावजूद जनता हमेशा सच जानती रही है और जानती ही रहेगी. क्योंकि इतिहास की एक अंतर्धारा भी है, जो लिखी नहीं जाती जबानी तौर पर याद रखी जाती है.
satyendra... said
जन्नत की हकीकत यही है िदलीप जी, गोरखपुर की सरैया चीनी मिल और िडस्टिलरी, सरदार नगर स्टेशन तो सभी जानते हैं, लेिकन िकसी ने अमरशहीद बंधु ि,सह या चौरीचौरा कांड में मारे गए शहीदों को याद रखा है? अगर कविता के कुछ अंश हटाए जा रहे हैं तो शर्मनाक है और देश की जनता को अंग्रेजों की गुलामी की मानिसकता में ढकेलने की कोिशश की जा रही है तो उसके िखलाफ आवाज उठाना जरुरी हो जाता है।
satyendra... said
जन्नत की हकीकत यही है िदलीप जी, गोरखपुर की सरैया चीनी मिल और िडस्टिलरी, सरदार नगर स्टेशन तो सभी जानते हैं, लेिकन िकसी ने अमरशहीद बंधु ि,सह या चौरीचौरा कांड में मारे गए शहीदों को याद रखा है? अगर कविता के कुछ अंश हटाए जा रहे हैं तो शर्मनाक है और देश की जनता को अंग्रेजों की गुलामी की मानिसकता में ढकेलने की कोिशश की जा रही है तो उसके िखलाफ आवाज उठाना जरुरी हो जाता है।
Anil Arya said
गद्दी पर कब्जा गद्दारों का है , देश भक्तों को भुला दिया गया है… कितनों ने याद किया भगत सिंह , सुखदेव और राजगुरु को ? आओ सब मिल गायें …अंग्रेज़ों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी राजधानी थी,बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी