बाबा का बुल और बियर
Posted by Isht Deo Sankrityaayan on March 8, 2008
मैने अभी बियर नही पी रखी है और हाल-फिलहाल ऐसा कोई इरादा ही है. वैसे मै बियर पीना पसन्द भी नही करता. जून-जुलाई के महीने मे, जब ज्यादातर लोग बियर चाहे इस या उस ब्रैंड का कोल्ड ड्रिंक पीना पसन्द करते है, तो भी मै पीने के लिए सादा पानी या फिर रम ही पसन्द करता हू. मुझमे और गोसाई जी मे मूलभूत समानता यही है कि वह दुनिया को राममय देखना पसन्द करते थे और मै उसे रममय देखना पसन्द करता हू.
हालांकि मास्टर कह्ता है कि यह करीब-करीब उतना ही बडा फर्क है जितना कि ग्राम प्रधान और प्रधानमंत्री होने मे है. मैने कई बार उससे अपना मंतव्य स्पष्ट करने के लिए कहा तो उसने बडी मुश्किल से एक बार सिर्फ इतना ही कहा कि ग्राम प्रधान होने के लिए चुनाव जीतना जरूरी होता है. अब मै कानून तो जानता नही. मै यह बात समझ नही पाया कि प्रधान मंत्री बनने के लिए ऐसा जरूरी होता है या नही, पर मुझे लग्ता है कि शायद यह जरूरी नही है. वैसे भी देश मे कुछ तो ऐसे पद होने ही चाहिए जिनके लिए अयोग्यता ही सब्से बडी योग्यता मानी जाए. ताकि कोई भी ऐरा-गैरा नत्था-खैरा लाभ का पद जैसा मस्ला तो न उठा सके. वैसे भी हमारे देश मे कुछ तो पद ऐसे होने चाहिए जिनको लोग बियर करे. वरना ज्यादातर पद तो ऐसे ही है जो लोगो को बियर कर रहे है.
अब देखिए, बचते-बचते भी आ गया न फिर बियर! मेरा मन फिर बियर-बियर होने लगा. क्या बताए! अभी थोडे दिन पहले की बात है. एक जमाने मे दुनिया के अखाडे का चक्रवर्ती, पर अब लतमरुआ घोषित हो चुके पहलवान रूस के नए राष्ट्र्पति हुए मेदवेदेव के बारे मे एक अखबार मे एक खबर पढी. इसमे बताया गया था कि बेचारे मेदवेदेव जी का भारत से बडा पुराना नाता है. अव्वल तो उनके पूर्वज भारत से ही गए थे. इस बात का आधार जैसा कुछ यह था कि मेदवेदेव का रूसी मे एक अर्थ होता है धारण करना, यानी कि टु बियर.
बियर शब्द पढते ही मै डरा कि रे बाप कही यह दलाल स्ट्रीट वाला बियर तो नही है, फिर दहाडते आ गया. और तब तक दूसरे ही दिन वह आ ही तो गया गुर्राते हुए. महाशिवरात्रि के ऐन एक दिन पहले नन्दी महराज पर जैसे-तैसे कर चढा नशा जाम्बवंत जी ने दूसरे ही दिन उतार दिया. यह समझना मेरे लिए फिर मुश्किल हो गया है कि ऐसा काम भला जाम्बवंत जी कैसे कर सकते है. आखिर नन्दी महराज से उनकी ऐसी क्या दुश्मनी है कि जब देखो तब भिड जाते है और उनकी सींग पकड कर उन बेचारे को अहिरावण के लोक की ओर ठेलने लग जाते है? आखिर क्या वजह है कि राम जी की सेना मे एक-एक लोग का उत्साह बढाने वाले और खास तौर से स्वय रुद्रावतार और परम वैष्णव हनुमान जी को उनके बल की याद दिलाने वाले जाम्बवंत जी अब लगातार नन्दी बाबा को कुए मे ढकेलने पर तुले पडे है?
कही ऐसा तो नही है कि जाम्बवंत जी ने भोले बाबा की प्रसाद खा ली हो और फिर उसका असर न झेल पा रहे हो? या फिर ऐसा तो नही कि अब उनका पैक्ट राम के बजाय रावण से हो गया हो? लेकिन नही-नही! रावण का पक्षकार होने की सम्भावना तो ज्यादा नन्दी जी मे ही है. आखिर वह शिव जी का महान भक्त था और भोले बाबा के दरबार मे उसकी पैठ नन्दी महराज के बगैर कैसे बनी होगी? वैसे भी भोले बाबा की बूटी का असर तो इस बार महाशिवरात्रि के पहले से ही देखा जा रहा है. देश के सबसे बडे गुम्बद के कंगूरे से देश के भविष्य का जैसा लेखा-जोखा निकल रहा है उसे देख कर तो यही लग रहा है कि उसके बीचोबीच मौजूद कुए मे भोले बाबा की बूटी घोरा गई है और पूरे देश पर उसका असर हो रहा है.
ई देखिए, सलाहू का फोन फिर आ गया. बोल रहा है, ‘यार अब छोड रम की बात. अब बियर का मौसम आ गया.’ पर मै समझ नही पा रहा हू कि ई सब जो अभी जाम्बवंत जी से हार मान रहे है ऊ बाद मे फिर रामकाज मे ही लगेंगे? मै देख रहा हू रावण कई-कई रूपो मे शिव जी को प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह से बूटी घोंट रहा है और मै देख रहा हू कि भोले बाबा फिर मस्ताने लगे है. उनके ऊपर रावण के तप का असर होने लगा है. बाबा फिर घोषणा, आश्वासन और वादा रूपी मंत्र के अधीन होने लगे है, होने लगे है, होने लगे है …….. मै तो देख रहा हू, आपो के लउक रहा है कि नई जी?
Gyandutt Pandey said
बहुत दिनों बाद दिखे मित्र। किस बीयर की खोज में निकल गये थे? या कहीं ऐसा न हो कि जब जब सेन्सेक्स धड़ाम हो, तब तब दिखेंगे आप?! बाकी – नन्दी और जामवन्त में कोई विरोध नहीं है – यह ब्रह्मज्ञान प्राप्त कर लेना चाहिये।
इष्ट देव सांकृत्यायन said
नही ज्ञान भइया. सेंसेक्स चदाम होने की बात नहीं है. वो तो वो बहुत दिनों से है. पर अपन ही सर्दी और अति व्यस्तता के नाते थोड़ा झंझट मे रहे. बहरहाल अब आ गए है और आपके साथ बने रहेंगे.
Alok Nandan said
Apaka ka yeh chakhane parane ke bad main tatkal bear ki khoj me nikal gaya…ab puri masti me hun..gurudev gustakhaki maf ho…ab mujhe lag raha hai ki aapaki kalam jawan ho gai hai…sambhaliyaga jawani bahut kharab hoti hai..
इष्ट देव सांकृत्यायन said
बकलोल. मेरी कलम को जवान हुए तो एक अरसा हो गया. बस ये है की मेरी तरह वो भी जवानी से अभी मुक्त नहीं हो पा रही है. और कुछ दोस्तों को इसी बात का मलाल है.
ओमप्रकाश तिवारी said
जनाब , प्रधानमंत्री जी को खूब भिगो के मारा है । बढ़िया लगा । दूसरी बात , मेदवेदेव के बारे में । पता करिए , कहीं उनके पूर्वज उत्तरभारतीय या बिहारी तो नहीं थे । नहीं तो बाल ठाकरे बोलेंगे कि रूस को बर्बाद करने में भी यूपी-बिहार का ही हाथ है ।
इष्ट देव सांकृत्यायन said
पते की बात कही सर आपने. मालूम करना पड़ेगा.
अनूप शुक्ल said
सुन्दर लेख। रममय और राममय होने के लिये शुभकामनायें।