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ये सच दिखाते हैं,हर कीमत पर

Posted by Isht Deo Sankrityaayan on December 8, 2008

सूनो, सूनो, सूनो
कान खोल कर सूनो
दिल थाम कर सुनो
टीवी चैनलों के खिलाफ
देश में एक गहरी साजिश
चल रही है.
आतंकियों ने इनके कनपटे पर
बंदूक ताना था,लेकिन मारा नहीं
क्योंकि ये प्रेस-प्रेस चिल्लाये थे .
इनके अगल-बगल से गोलियां गुजरती रही
लेकिन सीने से एक भी गोली नहीं टकरायी
क्योंकि गोलियों को पता था ये प्रेस है.
सड़कों पर फटा ग्रेनेड के छींटे इनके
कैंमरे से होते हुये,न्यूजरूम में पहुंच गये
दो सकेंड के लिए थम गई इनकी सांसे
साठ घंटे तक ये लोग डटे रहे
टीआरपी के लिए नहीं,पत्रकारिता के लिए
खूब की पत्रकारिता, आतंकवाद के
कवरेज पर इन्हें गर्व है
अपनी जान जोखिम में
डालकर इन्होंने सच परोसा
इन्हें किसी की सर्टिफिकेट
की जरूरत नहीं है
क्योंकि ये सच दिखाते
हैं,हर कीमत पर।
सरकार में बैठे हुये लोगों ने इनकी सराहना की है
…जिम्मेदारी के साथ काम किया इन लोगों ने.
अपनी पीठ थपथपाने के बाजाये
भाई लोग, शीशे के कमरे से बाहर निकलो
आम आदमी की आंखों में झांको
और पता लगाओ कौन से सवाल तैर रहे हैं
उनकी आंखों में
मैं बताता हूं 12 घंटे तक एक ऑफिस में
काम करने वाले एक व्यक्ति का सवाल
सूनो यह मासूम सवाल….
यदि मेरी अंतोनोयोत को आंतकी उठा ले जाये
तो राष्ट्र कहां तक समझौता करेगा ?
अब तो मुंबई की आग भी ठंडी पड़ चुकी है
बैठाओ पैनल न्यूजरूम में
नेताओं को बुलाओ,विशेषज्ञों को बुलाओ,
और बिना कुर्तक किये पूछो उनसे
आम आदमी का यह मासूम सवाल।
क्योंकि टीवी चैनलों के खिलाफ
साजिश में,यदि तुम्हे लगता है कि यह
साजिश है,इस देश का आम आदमी शामिल है.
यदि बात समझ में नहीं आये
तो एक बार रूसो का जेनरल विल उलटकर देख लेना
शायद दिमाग में यह बात घुसे कि
कि टीवी चैनलों के खिलाफ
इस साजिश में यकीनन इस देश
का आम आदमी शामिल है ….यकीनन.

2 Responses to “ये सच दिखाते हैं,हर कीमत पर”

  1. यदि बात समझ में नहीं आयेतो एक बार रूसो का जेनरल विल उलटकर देख लेनाशायद दिमाग में यह बात घुसे किकि टीवी चैनलों के खिलाफइस साजिश में यकीनन इस देशका आम आदमी शामिल है ….यकीनन. बिलकुल सही ओर सटीक लिखा आप ने धन्यवाद

  2. … बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है।

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