जनतवा का जिउ सांसत में है!
Posted by Isht Deo Sankrityaayan on June 16, 2011
अ से अन्ना हज़ारे क से काला धन ग से गंगा
द से दिग्गी राजा
न से निगमानंद
ब से बयानबाजी
भ से भ्रष्टाचार र से रामदेव
भौत रट लिए यार ये सब. इन सबके बीच में
ख से खाना भ से भूख म से महंगाई ब से बढ़ते ब्याज दर
ई सब भी होते हैं. कौनो नामे नईं ले रहा है इनका……………. बताओ न, का किया जाए???????????????????????????????????????????????????????????????????????
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भारतीय नागरिक - Indian Citizen said
कुछ नहीं हो सकता.
प्रवीण पाण्डेय said
आ से आशा, बस वही सीख रहे हैं।
Rakesh 'Soham said
योग से भ्रष्टाचार मिटाने का समाधान ढूँढना अप्रत्याशित सा लगता है . तथापि इसे आजमाने में कोई बुराई भी नहीं. जब मर्ज़ हद से गुज़र जाता है तो टोने – टोटके तक आजमाने पड़ जाते हैं. इस घोर कलयुग में भ्रष्टाचार से निपटने के लिए एक बाबा को उतरना पडा ? बाबा रे बाबा ??????????????
रंजना said
ला से लोभ है लाभुकों को और क्ष से क्षोभ बचा है जनता के लिए…..लेकिन क से करे क्या जनता ,इसके नहीं है सूझ…
नीरज गोस्वामी said
इष्ट देव जी की ये रचना अप्रतिम है…बधाई स्वीकारेंनीरज
डॉ. मनोज मिश्र said
श्री प्रवीण पाण्डेय जी सही कह रहे हैं.
चंदन कुमार मिश्र said
क का कि की कु कू के कै को कौ कं क:…।स से समस्या ग से गम्भीर है।